कुछ दिन पहले मैंने एक मैगजीन में एक आर्टिकल देखा और उसे पढने के बाद मुझे मेरा अस्तित्व "तुच्छ" प्रतीत होने लगा । यह लेख वर्ष 2008 में "रेमन मैगसायसाय" पुरस्कार पाने वाले श्री प्रकाश आम्टे और उनकी पत्नी श्रीमती मन्दाकिनी आम्टे के विषय में था । यहाँ यह जानना ज़रूरी है कि प्रकाश आम्टे प्रसिद्ध गांधीवादी समाज सेवक "बाबा आम्टे" के सुपुत्र हैं । पेशे से डॉक्टर यह पति-पत्नी एक महान कार्य कर रहे हैं । महाराष्ट्र के रिमोट एरिया में "मडियागोंड" नाम की एक आदिवासी प्रजाति रहती है । बात 1974 की है जब "प्रकाश" सर्जरी में पोस्ट-ग्रैजुएशन कर रहे थे । अपने पिता के कहने पर वे अपनी पत्नी के साथ शहर के सुखी जीवन को छोड़कर "हेमालकासा" चले आये यहाँ आकर उन्होंने "मडियागोंड" के उत्थान के लिए प्रयास शुरू किया । वे स्वनिर्मित, बिना दरवाज़े की झोपडी में रहने लगे । वे घूम-घूम कर दवाइयां देते और उनका उपचार करते थे । उन्हें उस प्रजाति का विश्वास जीतने में समय लगाधीरे धीरे उन्होंने एक स्कूल भी खोला । मन्दाकिनी उस स्कूल में प्रजाति के बच्चों को पढ़ाने लगी । आश्चर्य की बात तो ये है कि उनके खुद के बच्चे भी उसी स्कूल में पढ़ते थे । धीरे धीरे इन्होने लोगों को खेती और सब्जियां उगाने की शिक्षा भी देना प्रारंभ की । एक स्विस सहायता कोष की मदद से जल्दी ही प्रकाश ने एक छोटा सा हॉस्पिटल भी खोला जहाँ अभी भी सभी रोगियों का निःशुल्क उपचार होता है
आज ये हॉस्पिटल 50 बेड की क्षमता रखता है जहाँ 4 डॉक्टर का स्टाफ है और करीब 40000 हज़ार रोगी प्रतिवर्ष अपना निःशुल्क अपना इलाज करवाते हैं । उस स्कूल से पढ़ कर ग्रैजुएशन करने वाले बच्चे आज डॉक्टर, वकील, इंजीनीयर, समाज-सेवी और सरकारी अफसर बन चुके हैं । और तो और लगभग 90 % बच्चे वापस यहीं आकर उसी काम में लग गए हैं, जिसे कभी प्रकाश और मन्दाकिनी अकेले कर रहे थे । साथ ही उनके अपने दोनों पुत्र भी यहाँ आकर अपने माता पिता की मदद कर रहे हैं ।
मेरी नज़र में ये दम्पति एक महान कार्य कर रहे हैं, पर दुःख की बात यह है कि सरकार और आम जनता से इनको कोई सहयोग नहीं मिल रहा है । हम सबको ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने और उनकी मदद करने की ज़रुरत है । तभी हम पूर्ण रूप से विकसित देश बन पायेंगे । सच में,
"जीना इसी का नाम है"
best artical in al ur posts. if ur thoughts r real, den a big congrats frm my side. actualy nwadays every person following only money and social thoughts r only 4 speaking n 4 creating gud impresion. par mere dost sirf gal bajane s kuch nai hone vala. there is a big need to do some real grass route work to develop our country n society. ek sach ye b hai k suruat ek hi karta hai aur karva banta chala jata h. kya aisi ek pahal hum karne ko taiyar h, kya gurda h kisi me jo gadi, bangla, ladki aur paise ko kurban kar k jindagi ko mayne de jaye. jindagi ki asli khusi ko samajh sake. ha me aisi pahal karne ko taiyar hu. koi aur h jo saath de sake. intejaar h muze use salam karne ka........
ReplyDeletemeri kosis h k ye surat badalni chaiye, mere sine me nahi tere sine me sahi, ho kahi b aag lekin aag jalni chaiye.
ReplyDelete