" हर आदमी भ्रष्टाचार करना चाहता है पर सदाचारी दिखना चाहता है "

Sunday, February 20, 2011

आजकल मेरे मन में कुछ अजब उमड़-घुमड़ चल रही है कि शिष्ट आचरण को हम कैसे परिभाषित करेंगे ? हमारे समाज की सबसे अनोखी बात ये है कि हम जो करना चाहते हैं वो दिखाना नहीं चाहते और जो दिखाना चाहते हैं वो करते नहीं हैं । तो फिर ये ढोंग-आडम्बर किस लिए ? हर आदमी भ्रष्टाचार करना चाहता है पर सदाचारी दिखना चाहता है किन्तु करता भ्रष्टाचार ही है । तो फिर हमने अपने लिए नियमों को इतना कठिन क्यों बना रखा है । जब सभी लोग वही चीज़ करना चाहते हैं जो मना है तो वो चीज़ मना क्यों है ?
 
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