नूतनवर्षाभिनंदन !!

Saturday, December 31, 2011


नूतनवर्षाभिनंदन !! "अनुभाव" के पाठकों, सभी मित्रों एवं प्रियजनों को मेरी तरफ से नववर्ष की हार्दिक 
शुभेच्छाएं !! आपको ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त हो और जीवन में नित नए आयाम स्थापित हो !! धन्यवाद !!

Happy New Year !! On this auspicious occasion of New Year, My hearty wishes to the 
readers of "Anubhaav", Friends and Loved ones. May God bless You and install new 
dimensions in life. Thanks !!

"दुनियादारी की बातें काफी पेचीदा बनायीं गयी हैं ताकि कोई ट्राई मार के भी खुश न रह पाए"

Tuesday, December 27, 2011


           सुख एक अनुभूति है जो किसी न किसी अवस्था या दशा के सापेक्ष देखी जाती है l वास्तव में सुख और दुःख केवल सापेक्षता के परिमाण हैं l किसी प्रिय के मरने पर दुःख होता है और अगर कोई कम प्रिय है तो उसके मरने पर कम दुःख होता है l और तो और यदि कोई अप्रिय है तो उसके मरने पर ख़ुशी होती है l तो मतलब ये है कि मरने से दुःख और सुख का कोई लेना देना नहीं है l 

            वैसे तो आजकल आदमी का Default मूड दुःख ही होता है l क्यूंकि वो परेशान है अपने परिवार से, अपने काम से, इस महंगाई से, इस टीवी से, सचिन के 100 वें शतक के इंतज़ार से, भ्रष्टाचार से और अब जिस तरह से अन्ना हजारे दिन भर राखी सावंत की तरह टीवी पर गला फाड़ते रहते हैं, उनसे भी दुखी है l पहले मैं इस लेख को काफी सावधानी से और गंभीरता से लिखने वाला था l पहला पैराग्राफ थोड़ा है भी वैसा l पर जैसे जैसे मैं लिखता जा रहा था, मैं दुखी होता जा रहा था l फिर मैंने पल्टी मार के लेख का हार्ट ट्रांसप्लांट कर दिया और अपने मूड का कबाड़ा होने से बचा लिया l
            
             वैसे खुश रहना एक कला है और हमेशा खुश रहने की कोशिश करनी चाहिए (मेरे कहने का ये मतलब नहीं है कि आप के बप्पा मर गये हों और आप ठुमके लगा रहे हैं ) l बस आपको ये बात टाइम पे याद रहनी चाहिए कि आप जो भी कर रहे हैं खुश रहने के लिए ही कर रहे हैं l बाकी दुनिया जाये तेल लेने (अब इस बात का भी ये मतलब नहीं है कि पडोसी के बप्पा मर गये हो और आप फिर ठुमके लगाने लगे) l वैसे देखा जाये तो ये दुनियादारी की बातें काफी पेचीदा बनायीं गयी हैं ताकि कोई ट्राई मार के भी खुश न रह पाए l सिचुएशन कैसी भी हो ट्राई मारने में किसी का खुल्ला नहीं होता l चलिए हम अब चलते हैं l आज काफी दिन बाद यहाँ हाथ पाँव मार रहे हैं l एक और बात है हमारे अग्रज भी नयके ब्लॉगर बने हैं l पर लिखते चिपका के हैं l ऐसा लिख देते हैं की पेन की स्याही सूख जाये l ये है उनका ब्लॉग "स्वर"  एक बार अवश्य देखा जाये l 
धन्यवाद !
 
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