"सर्वजन" और "बहुजन" का मजाक

Tuesday, March 16, 2010

अभी कल लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की महारैली में देश की गरीब जनता का बाकायदा मजाक बनाया गया । रैली में मायावती जी को 1000 रु के नोटों की माला पहनाई गयी, जिसका कुल मूल्य करीब 5 करोड़ बताया जा रहा है । जिस देश में 50 करोड़ लोग गरीब भी कहलाने के काबिल नहीं हैं, जब वहां ऐसा होता है तो मुझे खुद पर बहुत खीझ लगती है । लेकिन कर भी क्या सकते हैं ? अरे भाई ! हम लोगों ने ही तो वोट देकर, बहुमत से इस सरकार को बनाया है । कहते हैं "जैसी जहाँ की जनता, वैसी वहां की सरकार" ।
आज इस देश में जहाँ "vision 2020" की बात चल रही है, वहां मायावती जी इस "लोकतान्त्रिक राजशाही" को नए नए आयाम दे रही हैं । वो तो पार्क पर पार्क, स्मरण स्थल पर स्मरण स्थल बनवा रही हैं । लगता है मिस्र के किसी फ़राओ की आत्मा आ गयी हैं इनके अन्दर । लेकिन एक बात है, अब जनता के लिए इन्होने कोई काम तो किया है नहीं । तो पार्क ही इतना बढ़िया बनवा दो कि लोग जब 100 साल बाद उसे देखें तो यह याद करें कि " हाँ, एक जने थीं, बहनजी, उही इका बनवाय गयी रहीं, अब नाम तो नहीं याद अहै, बस इही पता है कि सबकी बहनजी थीं ।"
वैसे इन सब बातों से कोई फ़ायदा नहीं है, बस अब जब भी अगली बार चुनाव हों,तो इन बातों को ध्यान में रख कर वोट देना है और ऐसी भ्रष्ट, विनाशकारी, केवल पार्क बनाने और चंदा बटोरने वाली सरकार को समूल उखाड़ फेंकना है । हमारा प्रदेश में इतनी संभावनाएं हैं कि हम देश जीडीपी में एक बड़ा हिस्सा बन सकते हैं । पर अभी तक हम केवल देश की जनसँख्या में एक बड़ा हिस्सा हैं । मायावती जी तो उद्योग धंधों की बात ही नहीं करती हैं । केवल प्रशासनिक अधिकारियों की टांग ही खींच सकती हैं । जब देखो तब किसी न किसी पार्क का उदघाटन कर रही होती हैं या प्रेस कांफ्रेंस करके अपने ऊपर चल रही जांचों के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही होती हैं । कभी कुछ और भी कर लिया करो यार ! जब देखो तब पैसा-पैसा । या तो मांगती रहती हैं या बर्बाद करती रहती हैं । और हाँ "थोडा थोडा" जमा भी करती रहती हैं । वैसे यही "थोडा" आम जनता की भलाई में "रोड़ा" है ।
तो सौ की सीधी एक बात, इस सर्वजन के नाम पर बहुजन का और बहुजन के नाम पर किसी भी जन का भला न करने वाली सरकार को हम अपने मताधिकार से बदल दें । यही हमारे और हमारे राष्ट्र की प्रगति और शक्ति-वर्धन के लिए श्रेयस्कर होगा । जय हिंद, जय महाभारत ।

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