अभी जल्दी ही मैंने एक किताब पढ़नी शुरू की । किताब का नाम है " Freedom is not Free" इसके लेखक प्रख्यात वक्ता और शिक्षाविद ''शिव खेड़ा" हैं । किताब काफ़ी अच्छी है लेकिन केवल अच्छा होना ही इसकी लोकप्रियता का कारण नही है । किताब में जिन बातों का उल्लेख है, वो सही में काफ़ी ध्येय हैं । लेखक ने जिस बात पर ज़ोर दिया है , वो हम सबके दैनिक जीवन से जुडा हुआ है । सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये कही गई है कि " If we are not part of the solution, then we are the problem". अब अगर कुछ समझ में आ रहा है तो बात ये है कि हम सभी को अपने आस पास कि समस्याओं के लिए ख़ुद उसके समाधान का भाग बनना होगा । कुछ न करने से हम उस समस्या में भागीदार हो रहे हैं न कि उसके समाधान के । क्या हम ये चाहते हैं कि हमारे अगले 50 साल भी वैसे ही हों जैसे पिछले 50 साल थे ? मेरे ख्याल से ज्यादातर लोग ऐसा "नही" चाहेंगे । यार !! सबसे आसान काम यही है कि हम ख़ुद को ही ठीक कर लें । यह सबसे आसान काम है । कोई झंझट ही नही । तब सब कुछ ठीक हो सकेगा । मैं कोई प्रवचन नही दे रहा । मैं ख़ुद इसके mood में नही हूँ । मैं ये नही कह रहा कि हर आदमी "भगवान् राम" जैसा मर्यादा पुरुषोत्तम और "गाँधी " जैसा सत्य-अहिंसावादी हो जाए । एक सामान्य, साधारण और सरल आदमी भी चलेगा । तो भइया !! सौ की सीधी एक ही बात है :
"खुदा से पहले ख़ुद को जानो " ™
-श्रुतकीर्ति
08/10/09........00.15 am
रायबरेली
aajkal samsya nahin samadhan kee jarurat hai.narayan narayan
ReplyDeleteबने भगत सिंह पड़ोसी घर में छुपी ये चाहत सभी के मन में।
ReplyDeleteइसी द्वन्द ने उपवन के सब कली सुमन को जला दिया।।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
उत्तम विचार है आपके ।
ReplyDeleteगुलमोहर का फूल
बहुत सुन्दर रचना ।
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
स्वागत है आपका, निरंतर सक्रिय लेखन से हिन्दी ब्लॉग्गिंग को समृद्ध करें. आपका प्रयास सराहनीय है.
ReplyDeleteधन्यवाद!
- सुलभ (यादों का इन्द्रजाल...)