"जीना इसी का नाम है"

Wednesday, March 31, 2010

कुछ दिन पहले मैंने एक मैगजीन में एक आर्टिकल देखा और उसे पढने के बाद मुझे मेरा अस्तित्व "तुच्छ" प्रतीत होने लगा । यह लेख वर्ष 2008 में "रेमन मैगसायसाय" पुरस्कार पाने वाले श्री प्रकाश आम्टे और उनकी पत्नी श्रीमती मन्दाकिनी आम्टे के विषय में था । यहाँ यह जानना ज़रूरी है कि प्रकाश आम्टे प्रसिद्ध गांधीवादी समाज सेवक "बाबा आम्टे" के सुपुत्र हैं । पेशे से डॉक्टर यह पति-पत्नी एक महान कार्य कर रहे हैं । महाराष्ट्र के रिमोट एरिया में "मडियागोंड" नाम की एक आदिवासी प्रजाति रहती है । बात 1974 की है जब "प्रकाश" सर्जरी में पोस्ट-ग्रैजुएशन कर रहे थे । अपने पिता के कहने पर वे अपनी पत्नी के साथ शहर के सुखी जीवन को छोड़कर "हेमालकासा" चले आये यहाँ आकर उन्होंने "मडियागोंड" के उत्थान के लिए प्रयास शुरू किया । वे स्वनिर्मित, बिना दरवाज़े की झोपडी में रहने लगे । वे घूम-घूम कर दवाइयां देते और उनका उपचार करते थे । उन्हें उस प्रजाति का विश्वास जीतने में समय लगाधीरे धीरे उन्होंने एक स्कूल भी खोला । मन्दाकिनी उस स्कूल में प्रजाति के बच्चों को पढ़ाने लगी । आश्चर्य की बात तो ये है कि उनके खुद के बच्चे भी उसी स्कूल में पढ़ते थे । धीरे धीरे इन्होने लोगों को खेती और सब्जियां उगाने की शिक्षा भी देना प्रारंभ की । एक स्विस सहायता कोष की मदद से जल्दी ही प्रकाश ने एक छोटा सा हॉस्पिटल भी खोला जहाँ अभी भी सभी रोगियों का निःशुल्क उपचार होता है

आज ये हॉस्पिटल 50 बेड की क्षमता रखता है जहाँ 4 डॉक्टर का स्टाफ है और करीब 40000 हज़ार रोगी प्रतिवर्ष अपना निःशुल्क अपना इलाज करवाते हैं । उस स्कूल से पढ़ कर ग्रैजुएशन करने वाले बच्चे आज डॉक्टर, वकील, इंजीनीयर, समाज-सेवी और सरकारी अफसर बन चुके हैं । और तो और लगभग 90 % बच्चे वापस यहीं आकर उसी काम में लग गए हैं, जिसे कभी प्रकाश और मन्दाकिनी अकेले कर रहे थे । साथ ही उनके अपने दोनों पुत्र भी यहाँ आकर अपने माता पिता की मदद कर रहे हैं ।
मेरी नज़र में ये दम्पति एक महान कार्य कर रहे हैं, पर दुःख की बात यह है कि सरकार और आम जनता से इनको कोई सहयोग नहीं मिल रहा है । हम सबको ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने और उनकी मदद करने की ज़रुरत है । तभी हम पूर्ण रूप से विकसित देश बन पायेंगे । सच में,
"जीना इसी का नाम है"

NOWHERE TO GO

Saturday, March 27, 2010

" I searched for that,
I find that,
but,
I just dont want to give it you,
coz,
You are him,
and,
He is you."

"सर्वजन" और "बहुजन" का मजाक

Tuesday, March 16, 2010

अभी कल लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी की महारैली में देश की गरीब जनता का बाकायदा मजाक बनाया गया । रैली में मायावती जी को 1000 रु के नोटों की माला पहनाई गयी, जिसका कुल मूल्य करीब 5 करोड़ बताया जा रहा है । जिस देश में 50 करोड़ लोग गरीब भी कहलाने के काबिल नहीं हैं, जब वहां ऐसा होता है तो मुझे खुद पर बहुत खीझ लगती है । लेकिन कर भी क्या सकते हैं ? अरे भाई ! हम लोगों ने ही तो वोट देकर, बहुमत से इस सरकार को बनाया है । कहते हैं "जैसी जहाँ की जनता, वैसी वहां की सरकार" ।
आज इस देश में जहाँ "vision 2020" की बात चल रही है, वहां मायावती जी इस "लोकतान्त्रिक राजशाही" को नए नए आयाम दे रही हैं । वो तो पार्क पर पार्क, स्मरण स्थल पर स्मरण स्थल बनवा रही हैं । लगता है मिस्र के किसी फ़राओ की आत्मा आ गयी हैं इनके अन्दर । लेकिन एक बात है, अब जनता के लिए इन्होने कोई काम तो किया है नहीं । तो पार्क ही इतना बढ़िया बनवा दो कि लोग जब 100 साल बाद उसे देखें तो यह याद करें कि " हाँ, एक जने थीं, बहनजी, उही इका बनवाय गयी रहीं, अब नाम तो नहीं याद अहै, बस इही पता है कि सबकी बहनजी थीं ।"
वैसे इन सब बातों से कोई फ़ायदा नहीं है, बस अब जब भी अगली बार चुनाव हों,तो इन बातों को ध्यान में रख कर वोट देना है और ऐसी भ्रष्ट, विनाशकारी, केवल पार्क बनाने और चंदा बटोरने वाली सरकार को समूल उखाड़ फेंकना है । हमारा प्रदेश में इतनी संभावनाएं हैं कि हम देश जीडीपी में एक बड़ा हिस्सा बन सकते हैं । पर अभी तक हम केवल देश की जनसँख्या में एक बड़ा हिस्सा हैं । मायावती जी तो उद्योग धंधों की बात ही नहीं करती हैं । केवल प्रशासनिक अधिकारियों की टांग ही खींच सकती हैं । जब देखो तब किसी न किसी पार्क का उदघाटन कर रही होती हैं या प्रेस कांफ्रेंस करके अपने ऊपर चल रही जांचों के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा रही होती हैं । कभी कुछ और भी कर लिया करो यार ! जब देखो तब पैसा-पैसा । या तो मांगती रहती हैं या बर्बाद करती रहती हैं । और हाँ "थोडा थोडा" जमा भी करती रहती हैं । वैसे यही "थोडा" आम जनता की भलाई में "रोड़ा" है ।
तो सौ की सीधी एक बात, इस सर्वजन के नाम पर बहुजन का और बहुजन के नाम पर किसी भी जन का भला न करने वाली सरकार को हम अपने मताधिकार से बदल दें । यही हमारे और हमारे राष्ट्र की प्रगति और शक्ति-वर्धन के लिए श्रेयस्कर होगा । जय हिंद, जय महाभारत ।

लहरें

Sunday, March 14, 2010

समुद्र का वह तट,
जिसपर उत्तंग लहरों को,
रुकना पड़ता है,
वो लहरें जो कभी नहीं रूकती,
रुक जाती हैं..............

मुझे नहीं पता?

Friday, March 12, 2010

क्या जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कभी न कभी , कहीं न कहीं, सबको अपनी सोच से समझौता करना पड़ता है ?
मुझे नहीं पता ।

स्वतंत्र भारत के नायक : पं. जवाहर लाल नेहरु

Thursday, March 11, 2010


वैसे तो हम लोग पं. जवाहर लाल नेहरु का नाम बचपन से इतनी बार सुन चुके हैं कि जब इनकी कोई उपलब्धि बताता है तो ज्यादा आश्चर्य या सम्मान प्रकट नहीं करते । पर मेरा यह मानना है कि अगर नेहरु जी हमारे पहले प्रधामंत्री न बनते तो काफी दिक्कतें आती, पर शुक्र है ऐसा हुआ नहीं । नेहरु जी ने ही भविष्य के भारत की नींव रखी थी और आज का भारत उसी नींव पर मजबूती से खड़ा है । कोई आश्चर्य नहीं होता अगर हमलोग भी पाकिस्तान की तरह "failed state" हो जाते । पर जब तक हमारे पास नेहरु जैसे लोग हैं, ऐसा होना संभव नहीं है ।
जो चीज़ नेहरु जी को सबसे अलग करती है वो है उनकी प्रतिभा पहचानने की शक्ति । उन्होंने लोगों की प्रतिभा को पहचान कर उसी के अनुरूप काम सौंपा । डॉक्टर भाभा, विक्रम साराभाई, सतीश धवन जैसे लोगों को खोजकर बड़ी बड़ी संस्थाएं बनायीं । जिनके भरोसे आज देश चल रहा है । नेहरु जी की वजह से ही आज भी एक ही देश हमारा सच्चा मित्र है, रूस । रूस ही एकमात्र देश है जिसने "न्यूक्लियर सप्लाई ग्रुप" में हमें सबसे पहले समर्थन प्रदान किया और रूस ने ही हमें सारी सैटेलाइट टेक्नोलोजी दी है । नेहरु जी ने ही योजना आयोग बनाया । पंचवर्षीय योजना का विचार भी नेहरु जी का ही था ।
नेहरु जी समाजवाद के प्रबल समर्थक थे । लेकिन उन्होंने समाजवाद का परिणाम भी पता था इसीलिए उन्होंने भारत में "mixed economy" की शुरुआत की । जिसके लिए हम आज भी उनके शुक्रगुज़ार रहेंगे ।


अपने जीवनकाल में उन्होंने बहुत सारे काम किये । इतनी छोटी से जगह में इतना सब लिख पाना मुमकिन नहीं है । पर नेहरु जी ने जो कुछ इस देश के लिए किया, उसके लिए ये देश सदैव उनका ऋणी रहेगा ।

स्वतंत्र भारत के नायक

Wednesday, March 10, 2010

आज से मैं ये एक नयी श्रृंखला प्रारंभ कर रहा हूँ । जिसमें मैं उन लोगों का उल्लेख करूँगा जिनको "मैं" स्वतंत्रता के बाद के भारत का नायक मानता हूँ । यह पूरी तरह से मेरे दिमाग की उपज है और इसमें किसी भी व्यक्ति का कोई हस्तक्षेप या वैचारिक-मत नहीं है । इन सभी सुधीजन का चयन मैंने अपने ज्ञान के आधार पर किया है । इन सभी लोगों को किसी भी तरह की वरीयता से नहीं लिखा जायेगा । मेरी नज़र में सभी समान हैं । बस उनका उल्लेख आगे-पीछे हो सकता है । अतः मैं किसी भी व्यक्ति के लिए उत्तरदायी नहीं हूँ ।
जल्दी ही आपसे मिलूंगा, पहले नायक के साथ ।
धन्यवाद ।

अभिनव भारत

विकास के तट पर खड़ा,
भारत
अन्धकार से मलिन मुख,
और गरीबी से सने पैरों वाला,
आँखों में भ्रष्टाचार का आलस्य,
हाथों में साम्प्रदायिकता की लाठी लिए,
विकास की तटिनी के शाश्वत अविच्छिन्न प्रवाह को,
विचारों से टटोलता,
भारत ।
यह कविता मैंने 2004 में लिखी थी किन्तु आज भी उतनी ही प्रासंगिक है ।
श्रुतकीर्ति सोमवंशी "शिशिर"
रायबरेली
2345 Hrs.
08.03.2010

हिंदी या ENGLISH ?

Monday, March 8, 2010

वैसे तो मुझे दोनों ही भाषाएँ आती हैं, पर हिंदी की बात कुछ अलग है । हिंदी में लिखने का मज़ा ही कुछ और है । वैसे भी आजकल अगर हम हिंदी का साथ नहीं देंगे तो क्या राज ठाकरे देंगे ? पर साथ ही एक बात और है, मैं कभी कभी ENGLISH में भी लिखना चाहूँगा, क्योंकि कुछ बातें ऐसी होती हैं जो ENGLISH में लिखनी बेहतर हैं ।
श्रुतकीर्ति सोमवंशी "शिशिर"
रायबरेली
1800 Hrs. 08.03.10

OSCARS 2010

The World's highest acclaimed award for excellence in motion pictures, The Oscar Awards, were given in Los Angeles today. There were some pleasant surprises but few were not that pleasant.
The best film, The Hurt Locker, which I saw in June '09 was a surprise. The film was excellent but not so good to win the best motion picture award (at least i think so.....but who cares for me?....all i know that this is my blog). I have seen 7 of all 9 nominees for best picture category But none of them like "the best film"............I think this year all the picture were good but not up to the mark. So the best of them won........Which is The Hurt Locker.
Now the best actor was given to Jeff bridges. I haven't seen the film so NO COMMENTS. I have seen 2 films out of 5 in this category and there was no such acting to give away the awards. In best actress category it is my opinion that the award was for "Meryl streep" for her outstanding acting in "Julie and Julia" but it was a day of Sandra bullock. She was good in "The Blind Side" but.............what can i say?
In supporting actor category, the award was given to Christoph Waltz for Inglourious Basterds, who was the perfect' choice. He has acted superbly. In supporting actress category, Mo'nique was the best choice. I haven't seen the film but when i saw the other nominees, i knew it.

So in my view it was good show but could have been better...........and Sorry for James Cameron.
 
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