अभी अभी ख्याल आया कि क्यूँ न मैं अपनी "चिरकुट किन्तु रोचक" चित्रकारियां यहाँ पर डालूँ । इससे एक बात तो सिद्ध हो जाएगी कि बुद्धिजीवी होने का मैं कितना भी प्रयत्न कर लूं, मेरे अन्दर का "चिरकुट विचारक और सस्ता चित्रकार" बाहर आ ही जाता है । दुनिया कितनी भी ज़ालिम और गन्दी हो जाये, मुझे मेरी "काबिलियत" दिखाने से किसी के पिताजी भी नहीं रोकसकते । जो आएगा उसको देख लिया जायेगा । हीही ।
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khoob attitude...
ReplyDeletemast...