अभी कुछ दिन पूर्व मैंने एक अखबार में पढ़ा कि दिल्ली के एक स्कूल के छात्र ने अपनी टीचर के साथ बदसलूकी की । पहले तो मैं थोडा अचंभित हुआ पर धीरे धीरे सामान्य भी हो गया क्योंकि आज कल जो माहौल है उस हिसाब से यही होना था । शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बड़े परिवर्तन किये जा रहे हैं । नम्बर्स की जगह ग्रेड की व्यवस्था हो रही है जिससे बच्चों पर पढाई का बोझ कम पड़े । पर मेरा ये मानना है कि ये बोझ इतना कम भी ना हो जाये कि बच्चे इसकी जिम्मेदारी लेने से भी बचें । वैसे इतने सुधार की भी ज़रुरत नहीं है क्योंकि इसी शिक्षा के दम पर हम दुनिया का सर्वश्रेष्ठ दिमाग तैयार करते हैं और विश्व कि हर यूनिवर्सिटी में अपना परचम लहराते हैं । पर अब जो सुधार के नाम पर बदलाव किये जा रहे हैं वे वही हैं जो अमेरिका ने 50 साल पहले किये थे ताकि बच्चों पर बोझ कम पड़े । और देखिये अमेरिकी संस्कृति और बच्चों का क्या हाल है ?? और तो और ओबामा ने भी भारतीय शिक्षा पद्धति की तारीफ़ की थी पर इन बदलावों के साथ नही । अब अमेरिका अपनी शिक्षा पद्धति में परिवर्तन कर उसे भारत की तरह बनाने पर जोर दे रहा है पर हम लोग उनसे 50 साल पीछे हैं और वहीँ जा रहे हैं जहाँ वे अब हैं ।
मैं इन सुधार करने वाली कमेटियों से यही कहूँगा कि भैय्या आपको जो करना है वो करो पर एक काम और कर दो कि सभी बोर्ड के सभी स्कूल क्लास 12 तक नैतिक शिक्षा अनिवार्य कर देंगे । क्योंकि आजकल तो लोगों को सही और गलत में ज़रा सा भी फर्क नहीं महसूस हो रहा । तो कम से कम अगर बिना मन के भी नैतिक शिक्षा पढ़ी तो कुछ तो दिमाग में जायेगा ही । बिना नैतिक शिक्षा के अध्ययन के आज का बच्चा एक मूर्ख, असभ्य, बेशर्म और मानसिक रूप से विकृत सभ्यता और पीढ़ी का हिस्सा बनता जा रहा है ।
मैं इन सुधार करने वाली कमेटियों से यही कहूँगा कि भैय्या आपको जो करना है वो करो पर एक काम और कर दो कि सभी बोर्ड के सभी स्कूल क्लास 12 तक नैतिक शिक्षा अनिवार्य कर देंगे । क्योंकि आजकल तो लोगों को सही और गलत में ज़रा सा भी फर्क नहीं महसूस हो रहा । तो कम से कम अगर बिना मन के भी नैतिक शिक्षा पढ़ी तो कुछ तो दिमाग में जायेगा ही । बिना नैतिक शिक्षा के अध्ययन के आज का बच्चा एक मूर्ख, असभ्य, बेशर्म और मानसिक रूप से विकृत सभ्यता और पीढ़ी का हिस्सा बनता जा रहा है ।