आई. पी. एल फ़ाइनल- "एक रहस्य"

Monday, April 26, 2010

आज आई.पी.एल का फाइनल मैच देखा । सबसे पहले तो "चेन्नई सुपर किंग्स" को बधाई कि वे सिरीज़ जीत गए हैं । चूंकि मैं "मुंबई इंडियंस" का समर्थक हूँ, इसलिए थोड़ी निराशा हुयी । बहुत सारीबातें हैं । समझ में नहीं आ रहा है कहाँ से शुरू करुँ । वैसे दुःख तो काफी हुआ है क्योंकि पिछले दो सीज़न से मैं "मुंबई" को सपोर्ट करता आ रहा हूँ । जिसका एक बहुत सीधा सा कारण है "सचिन तेंदुलकर" । मैं ये पहले भी लिख चुका हूँ कि मेरे लिए क्रिकेट का अर्थ है "सचिन" । पर आज मैं सचिन की कप्तानी से काफी सकते में हूँ । पूरी सिरीज़ में आपका जो प्लेयिंग एलेवेन था , आज आपको वही बरक़रार रखना चाहिए था । कोई भी अँधा-पागल यही करता । पर सच बात तो ये है कि "अँधा-पागल" ही ऐसा करेगा , क्योंकि ऐसा करने पर शायद "मुंबई" जीत जाती । ये मैच रहस्यों से भरा हुआ है । कैच भी टपक गए या टपकाए गए , कोई नहीं बता सकता ।
बैटिंग क्रम में भी बेकार के बदलाव किये गए । पोलार्ड को इतना बाद में क्यों भेजा ये समझ के बाहर है । जो बल्लेबाज़ पूरे टूर्नामेंट में आपका "हिटर" रहा हो उसे आप हरभजन और डुमिनी से कैसे बदल सकते हैं । ये बात पोलार्ड ने 18 वे ओवर में 22 रन कूट के सिद्ध भी कर दी । मैं ज्यादा गड़े मुर्दे नहीं उखाड़ना चाहता क्योंकि अब बारीकी करने से कोई फायदा नहीं है । जो "नियति" ने "लिखा" था वही मैदान पर भी किया गया ।

2 comments:

  1. दुख की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं ।

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  2. सही कहा भाई कही बड़ा झोल है

    जहीर से कैच गिरना
    दो खिलाड़ी का बाल के पास होने के बाद भी कैच ना लेना
    अंधेर है
    अरे सबसे बड़ी गलती पोलार्ड को देर से भेजना

    अब क्या कहें
    मुझे भी बहुत दुःख हुआ
    मुंबई को जीतना था ये मैच :(

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