ब्रिटेन में एक कहावत है "जैसी जहाँ की जनता, वैसी वहां की सरकार । अगर सोचा जाये तो ये बात काफी हद तक सही भी लगती है । हमारी सरकार हम सब के बीच से ही चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा बनती है । इसका मतलब यही है कि अगर यही प्रतिनिधि जब कोई गलत काम करते हैं और कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए नज़र आते हैं तो हमें इनकी भर्त्सना नहीं करनी चाहिए बल्कि पहले खुद अपने गिरेबां झाँक लेना चाहिए । आज सबसे महत्त्वपूर्ण बात ये है कि हमारी शिक्षा पद्धति में "नैतिक शिक्षा" और "चरित्र-निर्माण" का कहीं कोई नाम-ओ-निशान नहीं है । जब कोई भी व्यक्ति चरित्र गत गुणों की बात करेगा ही नहीं तो ऐसे ही लोग तो राजनीति में आयेंगे क्योंकि ऐसे लोग ही तो बहुतायत में हैं । ज़रूरत है समाज में नैतिकता और सदाचार की जगह बनाना ।
जैसा हमारा समाज होगा, वैसी ही हमारी सामाजिक संस्थाएं भी होंगी । पुलिस, प्रशासनिक विभाग, राजनैतिक लोग सभी इसी समाज का हिस्सा हैं । ये सब दुसरे ग्रह से नहीं आये हैं । इसलिए अगली बार से इनको दोष देने से पहले खुद से ये पूछो कि "अगर तुम इनकी जगह होते तो क्या करते?" और इस प्रश्न का जवाब सही -सही दो । क्योंकि बोलने के लिए हर आदमी अपनी अपनी गीता और राम चरित मानस बांचता है , पर जब करने का मौका मिलता है तो उस दूसरे से भी सौ कदम आगे निकल जाता है । इसलिए कह रहा हूँ कि सबसे पहले आगे आने वाली पीढ़ी को सही शिक्षा देनी बहुत ज़रूरी है । अन्यथा बहुत देर हो जाएगी और समाज में चारित्रिक गिरावट घर कर जाएगी ।
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