मेरे लिए क्रिकेट का मतलब है सचिन तेंदुलकर की बैटिंग । बचपन से लेकर आजतक क्रिकेट देखते हुए मुझे करीब 16-17 साल हो रहे हैं । पर अभी भी सचिन की बैटिंग ही सब कुछ है । बहुत से क्रिकेटर आये, जिन्हें मैं पसंद करता हूँ पर वो मेरे लिए कभी भी उस मुकाम तक नहीं पहुँच पाए जिस पर सचिन हैं । मेरे लिए वो एक क्रिकेटर से बढ़कर हैं । मैं सही मायनों में उनका सम्मान करता हूँ । कोई व्यक्ति अपना काम कितनी शिद्दत से कर सकता है , यह सचिन से सीखने को मिलता है । वो युवाओं के लिए एक आदर्श हैं । उन्होंने साबित कर दिया है कि वो केवल एक खिलाडी ही नहीं हैं, वो अपने आप में एक "इंस्टीट्यूशन" हैं ।
2004 की गर्मियों में ऑस्ट्रेलियन टीम भारत आई थी । एक मैच में ऑस्ट्रेलियन बॉलर ब्रैड हौग ने सचिन को आउट कर लिया । मैच के बाद वो सचिन के पास आया और सचिन से उस बॉल पर उनका साइन करने को कहा । सचिन ने साइन किया और लिखा "this will not happen again". तब से लेकर आजतक ब्रैड होग सचिन को दुबारा आउट नहीं कर पाया । तो ये है सचिन का आत्म-विश्वास । एक महान ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर एक बार भारत के कोच बनकर आये थे , श्रीमान ग्रेग चैपल । उन्होंने आते ही "युवा राग" अलापना शुरू कर दिया था । वे सचिन, द्रविड़, गांगुली, कुंबले जैसे अनुभवी क्रिकेटरों के पीछे "नहा-धो" के पड़ गए थे । युवा शक्ति ठीक है , अपनी जगह सही है, पर अनुभव का भी होना ज़रूरी है । आज उनके कथित "युवा" और "प्रतिभाशाली" क्रिकेटर जो 20-20 और आईपीएल को अपना दहेज़ समझते हैं, वो भी इन चारों के आगे फेल हैं । सचिन आईपीएल में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाडी हैं ।
कुल-मिलकर मेरा यह कहना है कि सचिन हमेशा से सर्वश्रेष्ठ रहे हैं और आगे भी रहेंगे । उनकी सब से बड़ी खासियत ये है कि वो कभी किसी के कमेन्ट पर कोई जवाब नहीं देते , बस अपना काम करते हैं । आज वो क्रिकेट में नए नए मायने स्थापित कर रहे हैं । बात बस ये है कि हम सिर्फ उनका साथ दे सकते हैं, उन्हें प्रोत्साहित कर सकते हैं , वे एक समर्पित भारतीय हैं और हम सब के बीच में से ही हैं । मेरे लिए वे एक महान शख्सियत हैं, जो भारत-रत्न के हक़दार हैं , क्योंकि वे अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ हैं ।
"सचिन एक महान व्यक्ति और खिलाडी हैं, ऐसे व्यक्ति कम ही होते हैं "