हाँ, कुछ चीज़ें हैं जिन पर हमको काम करना है पर अभी तक जितना भी हुआ है वो कम नहीं है । 1947 में जब अँगरेज़ यहाँ से गए तो वो हमारे लिए सिर्फ एक चीज़ छोड़कर गए, निराशा । अभी कुछ दिन पहले एक जगह पढ़ा कि 1947 में "टाइम" मैगज़ीन के एक अंक में मुखपृष्ठ पर ये फोटो छपी थी:
और "कवर स्टोरी" यह थी :
INDIA-PAKISTAN: The Trial of Kali
और इस लेख में जो लिखा था उसके शुरुआती कुछ शब्द इस प्रकार थे:
On a bed of stretched thongs in an open courtyard in Lahore, half naked, her head "wrung steeply back, her legs rigid in a convulsion as of birth, a woman lay dead.
इस लेख से ये समझ में आता है कि अंग्रेज़ विचारकों ने भारत के विभाजन को उसकी मृत्यु मान लिया था । सबका यही मत था कि भारत एक देश नहीं रहेगा अभी और हिस्सों में टूट जायेगा और एक Failed State हो जायेगा । पर ये नहीं हुआ । आज हम एक मज़बूत देश हैं । आज भी अखंड हैं ।
कुछ दिनों पहले भारत आये ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरून ने कहा :
For most of the past half century we in the west have assumed that we set the pace and we set the global agenda. Well now we must wake up to a new reality. We have to share global leadership with India.
ये वही लोग हैं जो हमको दिशाहीनता और निराशा की स्थिति में छोड़कर और हमारा सारा धन लूटकर चले गए थे । अब ये हमारी शरण में आ गए हैं ।
तो ये बात तो तय है कि अब वक़्त हमारा है पर इस समय सबसे ज़रूरी ये है कि हम सब मिलकर इस देश की प्रगति में हिस्सा बनें । सिर्फ 15 अगस्त या 26 जनवरी को देशभक्ति दिखाने और परेड देख के खुश होने से काम नहीं चलेगा । अभी बहुत काम बाकी है । हमें अभी बहुत मेहनत करनी है ।
INDIA-PAKISTAN: The Trial of Kali
और इस लेख में जो लिखा था उसके शुरुआती कुछ शब्द इस प्रकार थे:
On a bed of stretched thongs in an open courtyard in Lahore, half naked, her head "wrung steeply back, her legs rigid in a convulsion as of birth, a woman lay dead.
इस लेख से ये समझ में आता है कि अंग्रेज़ विचारकों ने भारत के विभाजन को उसकी मृत्यु मान लिया था । सबका यही मत था कि भारत एक देश नहीं रहेगा अभी और हिस्सों में टूट जायेगा और एक Failed State हो जायेगा । पर ये नहीं हुआ । आज हम एक मज़बूत देश हैं । आज भी अखंड हैं ।
कुछ दिनों पहले भारत आये ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरून ने कहा :
For most of the past half century we in the west have assumed that we set the pace and we set the global agenda. Well now we must wake up to a new reality. We have to share global leadership with India.
ये वही लोग हैं जो हमको दिशाहीनता और निराशा की स्थिति में छोड़कर और हमारा सारा धन लूटकर चले गए थे । अब ये हमारी शरण में आ गए हैं ।
तो ये बात तो तय है कि अब वक़्त हमारा है पर इस समय सबसे ज़रूरी ये है कि हम सब मिलकर इस देश की प्रगति में हिस्सा बनें । सिर्फ 15 अगस्त या 26 जनवरी को देशभक्ति दिखाने और परेड देख के खुश होने से काम नहीं चलेगा । अभी बहुत काम बाकी है । हमें अभी बहुत मेहनत करनी है ।
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