कौन क्या सोच रहा होगा...

Monday, April 4, 2011

गिलानी: हमारी टीम को हारना तो है ही, चलो दिल ही जीतने की कोशिश की जाये ताकि धीरे से और आतंकवादी भारत भेजे जा सकें ।

मनमोहन: ये गिलानी आ कैसे गया ? मैंने ऐंवे ही बुलावा भेजा था । लगता है इसके पास भी कोई काम नहीं है ।

सहवाग: जिस तरह से मेरे बाल गिर रहे हैं, लगता है मुझे भी पगड़ी पहननी पड़ेगी ।

सचिन: ये लोग अपना नाटक ख़तम करें तो मैच खेला जाये । हुंह !

1 comment:

  1. sehvag n sachin wala z just too gud... gud work chunmun...CREATIVITY KISI KI JAGIR NAHI... AKALMANDI KISI KI MOHTAJ NAHI.. TUMHARA KOI JAWAB NAHI...keep rocking.

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