"ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है"

Monday, April 11, 2011

काफी समय से मैं ये गाना सुनता आ रहा हूँ । बहुत सही लफ़्ज़ों का प्रयोग किया है साहिर साहब ने । वैसे तो ये ग़ज़ल अमर हो चुकी है पर आज मन किया कि क्यों न इसे "अनुभाव" पर भी अमर कर दूं ।


ये महलो ये तख्तो ये ताजो की दुनिया,

ये इंसान के दुश्मन समाजो की दुनिया,

ये दौलत के भूखे रिवाजो की दुनिया,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।


हर एक जिस्म घायल हर एक रूह प्यासी,

निगाहों में उलझन दिलों में उदासी,

यहाँ एक खिलौना है इंसान की हस्ती,

ये बस्ती है मुर्दा परस्तो की बस्ती,

यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।


जवानी भटकती है बदकार बनकर,

जवान जिस्म सजते हैं बाज़ार बनकर,

यहाँ प्यार होता है व्यापार बनकर,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।


ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है,

वफ़ा कुछ नहीं दोस्ती कुछ नहीं है,

जहाँ प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।


जला दो इसे फूँक डालो ये दुनिया,

मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया,

तुम्हारी है तो तुम्ही संभालो ये दुनिया,

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है ।


-साहिर लुधियानवी

"क्रांति व्यक्ति नहीं विचार से होती है"

Saturday, April 9, 2011

कहते हैं कि "जब किसी विचार का समय आ जाता है तो उसे कोई नहीं रोक सकता ।" ठीक ऐसा ही हुआ है अन्ना हजारे द्वारा किये अनशन के विषय में । इस प्रकरण को देश में जो अपूर्व समर्थन और उत्साह मिला है, उसका कोई जवाब नहीं है । खासकर ऐसे समय में जब ख़बरों में केवल घोटाले ही घोटाले हों । अच्छा लगता है जब आप सच को जीतता हुआ देखते हैं । यार, हम लोग बेकार में ही कभी कभी निराश हो जाते हैं । अन्ना हजारे साहब ने जो किया है वो लाजवाब है । उन्होंने फिर सिद्ध कर दिया है कि सत्याग्रह से अच्छा और सुलभ कोई हथियार नहीं है, असत्य और अहिंसा से लड़ने के लिए । अगर अन्ना हजारे ऐसा कर सकते हैं तो ये गाँधी का देश है, हम यहाँ करोड़ों गाँधी और हजारे रखते हैं । ज़रुरत थी तो बस उस "समय" कि जो अब आ गया है । अब लगने लगा है कि हम दुबारा विश्वगुरु बन सकते हैं । क्रांति व्यक्ति नहीं विचार से होती है ।

जब आप कोई काम सच्चाई से करते हैं और उसमें शुद्ध निष्ठा समर्पित करते हैं तो सफलता ज़रूर मिलती है । मैंने तो गाँधी जी को नहीं देखा, सिर्फ थोडा बहुत पढ़ा ही है, पर पिछले 2-3 दिन में उनके विचार और कर्मठता की झलक मिल गयी है । ईमानदारी में बहुत ताकत होती है और साथ ही बेईमानी बहुत कमज़ोर होती है । क्योंकि दोनों में सन्निहित विचार बिलकुल अलग हैं ।

पिछले एक हफ्ते से इस प्रकरण पर समाचार पत्रों और टीवी ने जो व्यापक रिपोर्ट दी है वो प्रशंसनीय है । कभी कभी खोटा सिक्का भी अपना दाम दे जाता है । पर यहाँ मैं एक बात और कहना चाहूँगा । भले ही मैं बात को बेहद मजाकिए तौर पर कह रहा हूँ पर इसकी गंभीरता में 1% की भी कमी नहीं है । बात ये है कि एक हफ्ते से अन्ना हजारे के अनशन के बीच हर शहर में कुछ चिरकुट, असभ्य, सड़क-छाप, गुटका-छाप, बेहद उल्लू किस्म के, जाहिल, फटीचर, दिशाहीन, बडबोले और मानसिक व वैचारिक रूप से दिवालिये, दोयम दर्जे के टुटपुंजिया नेता सड़क पर निकल आये हैं । आम आदमी से मैं यही आशा करूँगा कि इनके बहकावे में ना आयें । ये बस पुराने वालों के "सीक्वल" हैं ।हमें हजारे जैसे लोग चाहिए , इनके जैसे तो पहले से भरे पड़े हैं ।

जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Monday, April 4, 2011

आज हमारे एक पुराने (काफी पुराने) मित्र मानवेन्द्र सिंह जी का जन्मदिवस है । सुबह उनको बधाइयाँ दीं तो कहने लगे "चलो, इसी बहाने तुमने फ़ोन तो किया" । मैं क्या बोलता ? लड़के ने सही बात बोल दी । बात बात में उन्होंने कहा कि अनुभाव पे लिख देना । हमने भी वादा कर दिया । सो आ गए हम यहाँ वादा निभाने । तो " मन्नू भैया (प्रेम से हम लोग इनको मन्नू ही कहते हैं, ये नाम इनको देने का श्रेय, अगर ये देना चाहें, तो मुझे ही जाता है) आपको जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं । आप प्रगति के पथ पर इसी तरह अग्रसर रहें । आप अपने सभी लक्ष्यों को प्राप्त करें । ईश्वर आपका साथ दे । " धन्यवाद ।

कौन क्या सोच रहा होगा...

गिलानी: हमारी टीम को हारना तो है ही, चलो दिल ही जीतने की कोशिश की जाये ताकि धीरे से और आतंकवादी भारत भेजे जा सकें ।

मनमोहन: ये गिलानी आ कैसे गया ? मैंने ऐंवे ही बुलावा भेजा था । लगता है इसके पास भी कोई काम नहीं है ।

सहवाग: जिस तरह से मेरे बाल गिर रहे हैं, लगता है मुझे भी पगड़ी पहननी पड़ेगी ।

सचिन: ये लोग अपना नाटक ख़तम करें तो मैच खेला जाये । हुंह !

The story of world cup '11

Sunday, April 3, 2011


1.I wanted That "World cup" very badly and "My team" gave it to me.
2.This World cup is for our Sachin.
3.I will not criticize Yuvraj anymore.
4.Gautam Gambhir was the real unsung hero.
5.We've taken revenge of the moment when Kambli was weeping in semifinal of 1996 World Cup in calcutta.
6.The moment when whole team was "in tears", somehow I felt their emotion.
7.From now on My belief in GOD has strengthened.
8.Dhoni is the greatest captain we've ever had. God bless you Dhoni.
9.We are the most powerful team in the world. Bye-Bye Australia.
10.There are very rare moments in your life when you actually feel proud to be an Indian. Today I felt that. I love my India.
 
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