अभूतपूर्व हर्ष और उत्साह

Friday, May 7, 2010

चूंकि मैं यह मानता हूँ कि ये ब्लॉग मेरा है तथा इस पर सिर्फ और सिर्फ मेरा ही अधिकार है । इसलिए मैं इसे किसी भी तरह की "कैटेगरी" में नहीं रखना चाहता । इसी क्रम मेंअब से अपने निजी अनुभवों और जीवन से जुड़ी बातों का उल्लेख भी करूंगा ।
कल यूपीएससी '09 की परीक्षा का परिणाम निकला । जिसमे मेरे अग्रज स्वरोचिष सोमवंशी ने 575 वीं रैंक प्राप्त की है । प्रथम प्रयास में यह सफलता मायने रखती है । उनको बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का कीड़ा लगा हुआ था । एक निजी कम्पनी में काम करने के बाद ये कीड़ा काफी बड़ा हो गया था और कल ये कीड़ा अपने मंतव्य में सफल भी हो गया । 06 मई 2010 अपार हर्ष और उमंग लेकर आई है । मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ । ये जीवन के उन पलों में से एक है जब आपको लगता है कि कुछ भी नामुमकिन नहींहै अगर ठान लिया जाए । हर आदमी के पीछे कोई ना कोई कहानी होती है । कोई ना कोई रहस्य होता है । पर जब तक इसे खोला न ही जाय तभी अच्छा ।
!! जय हनुमान !!
श्रुतकीर्ति सोमवंशी
06-05-2010 2300 Hrs.
रायबरेली

1 comment:

  1. Really I appreciate to Swarochish Brother, He is Ideal for Us. Really Appreciable, This is not work of 1 day That's race which he wanted to win and I can Say By Heart

    He Is VICTOR,, The Victor

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