अभी बस इतना ही ........

Tuesday, May 11, 2010

आज कल कोई नाटक नहीं हो रहा है । कुछ मसाला भी नहीं मिल रहा बकैती के लिए । अभी तो यही ताज़ी खबर है कि धोनी भैया ने टी-20 वर्ल्ड कप में घटिया और दोयम दर्जे के प्रदर्शन के लिए आई० पी० एल० को दोषी मानने से इनकार किया है । सही भी तो है । जिस खेल से आपको रेगुलर सिरीज़ से ज्यादा माल मिले उसमें क्या दोष होगा ? दोष तो हमारा है जो घंटों टीवी के सामने सर फोड़ते हैं ।
हमारे एक मित्र हैं , अंकित शुक्ल जी । वो मैसूर में हैं , इनफ़ोसिस में काम करते हैं । बहुत काम करते हैं । पर फिर भी मैच देखने का टाइम निकाल ही लेते हैं । भगवान् ही जाने कहाँ से निकालते हैं । कुछ दिन पहले बात हुयी तो टीम को गरिया रहे थे । हमारे यूपी में गरियाने से तात्पर्य गाली देने से होता है । वो बस यही कहना चाह रहे थे कि सालों ने टाइम बर्बाद कर दिया । चलिए जो भी हुआ सही ही हुआ । जो हुआ, सो हुआ ।
और एक बात कहना चाहता हूँ कि अभी कुछ दिनों से यहाँ कुछ बकवास नहीं लिखी । लगता है अभी कुछ और दिन भी नहीं लिख पाऊँगा । शायद कुछ दिन के लिए "अल्प-विराम" सा रहेगा । पर मुझे खुद पर कोई भरोसा नहीं हैं कि कब आ जाऊं इस जगह अपनी भड़ास निकालने ।

अभूतपूर्व हर्ष और उत्साह

Friday, May 7, 2010

चूंकि मैं यह मानता हूँ कि ये ब्लॉग मेरा है तथा इस पर सिर्फ और सिर्फ मेरा ही अधिकार है । इसलिए मैं इसे किसी भी तरह की "कैटेगरी" में नहीं रखना चाहता । इसी क्रम मेंअब से अपने निजी अनुभवों और जीवन से जुड़ी बातों का उल्लेख भी करूंगा ।
कल यूपीएससी '09 की परीक्षा का परिणाम निकला । जिसमे मेरे अग्रज स्वरोचिष सोमवंशी ने 575 वीं रैंक प्राप्त की है । प्रथम प्रयास में यह सफलता मायने रखती है । उनको बचपन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का कीड़ा लगा हुआ था । एक निजी कम्पनी में काम करने के बाद ये कीड़ा काफी बड़ा हो गया था और कल ये कीड़ा अपने मंतव्य में सफल भी हो गया । 06 मई 2010 अपार हर्ष और उमंग लेकर आई है । मैं अत्यंत प्रसन्न हूँ । ये जीवन के उन पलों में से एक है जब आपको लगता है कि कुछ भी नामुमकिन नहींहै अगर ठान लिया जाए । हर आदमी के पीछे कोई ना कोई कहानी होती है । कोई ना कोई रहस्य होता है । पर जब तक इसे खोला न ही जाय तभी अच्छा ।
!! जय हनुमान !!
श्रुतकीर्ति सोमवंशी
06-05-2010 2300 Hrs.
रायबरेली

सचिन तेंदुलकर "ट्विटर" पर........

Thursday, May 6, 2010

Finally !! at last !! He is on twitter. The world saw the love , passion and respect for a person in the hearts of Indians. Sachin Tendulkar has joined "Twitter". It was a breaking news today. The mob is following him. Just like in the film "MILK", where Sean Penn said to the people of America " I am Milk, I am here to recruit you ". Everyone on twitter is "following" the maestro. Me too. He too. There are some campaigns starting to "follow" him on the social networking giant.

I read the comments of people. They usually address him as "GOD". There is one more great thing which shows his power that he is dragging people to join twitter. There is very large number of people who joined twitter to follow him. It is very interesting to know that most of his followers are newbie. They don't like Twitter. But for Sachin, they can join twitter, follow him and leave their account for ages. This is what happening there. This proves that he is the biggest star, celebrity, sportsperson, whatever you want to say him, of India till date. Bollywood celebrities are welcoming him warmly. Sachin himself is very anxious and happy to join twitter as his children wanted it eagerly. When I am writing this article, there are almost 92K followers of sachin and he only following 2.
Deepika Padukone says "the only record is left for him to break the most followers". I want to mention here that Hollywood star Ashton Kutcher has most followers, around 48 lacs but seeing the speed of Sachin, i can see this record is also going to be grabbed by him.
In the end I just want to say " FOLLOW SACHIN"..................
here is the link : http://twitter.com/sachin_rt

ट्रेन रिज़र्वेशन का झमेला

Saturday, May 1, 2010

कुछ दिन पहले की बात है मुझे रिज़र्वेशन कराने का सौभाग्य (?) प्राप्त हुआ । मैं रायबरेली से दिल्ली का रिज़र्वेशन करा रहा था । ट्रेन थी पद्मावत एक्सप्रेस । घर में कहा गया जितनी जल्दी जाओगे उतनी जल्दी रिज़र्वेशन हो जायेगा । पर एक बात बता दूं कि भारत में जल्दी करने से कुछ नहीं होता । आप चाहे जितनी जल्दी पहुँच जायें , आपको रिज़र्वेशन की लाइन हमेशा उतनी ही लम्बी मिलेगी । जैसे लगता इतने लोग भौतिक विज्ञान के किसी "नियतांक" (CONSTANT) के तरह सभी तरह क्रियाओं में "स्थिर" रहते हैं या फिर कोई उनपर "PAUSE" की बटन दबा कर भूल गया है । पर मैं भी क्या करता, जाकर लग गया उस लाइन में । पर उस समय तक काउंटर खुले नहीं थे । थोड़ी देर में वो कर्मचारी आ गया पर काउंटर खोलने में उसने वही शर्म और झिझक दिखाई जो एक नव-विवाहिता अपना घूंघट खोलने में दिखाती है । फिर धीरे से जनाब हम सबसे मुखातिब हुए । सब लोग उसे मन ही मन "गरिया" रहे थे पर सबके चेहरे कुछ और ही बयां कर रहे थे ।
मैं भी लाइन में लगा था कि कब "कपाट" खुलें और मैं भी दर्शन करूं । लाइन धीरे धीरे रेंग रेंग कर आगे बढ़ रही थी । पीछे वाले आगे वालों को कोस रहे थे - " भैया , सारी इन्क्वायरी यहीं कर लोगे का??.......जल्दी कीजिये भाईसाब.......अरे !! अगर तय नहीं था काहे आ गए रिज़र्वेशन करवाने ??.....कुछ ऐसी ही बातें निकल रही थी । कुछ लोग ऐसे होते हैं जो लाइन में नहीं लगते । वो बगल खड़े रहते हैं और बिना लाइन में लगे ही अपना काम करवाना चाहते हैं । पर वे जैसे ही अपना काम करवाने के लिए काउंटर की तरफ लपकते हैं , कोई सुधी व्यक्ति उनको सुवचन चिपका देता है । और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो खुद काउंटर तक नहीं आते , वे दूर खड़े रहते हैं और अपनी पत्नी या बहन या किसी सम्बन्धी महिला को काउंटर पर भेज देते हैं । वो महिला बिना लाइन में लगे रिज़र्वेशन करवाकर चली जाती हैं और कोई पुरुष जो लाइन में खड़ा है वो उस महिला से बदतमीजी तो कर नहीं सकता पर मन ही मन उस आदमी को ऐसे-ऐसे "सुवचन" देता हैं कि अगर कोई सुन ले तो बहरा हो जाये ।
समय बिताने के लिए कुछ लोग सचिन-धोनी का करियर बनाने लगते हैं और कुछ लोग राजनीति में नए नए आयाम जोड़ देते हैं । पर सबका ध्यान अपना नम्बर आने पर ही केन्द्रित होता है । और नम्बर आते ही अपने आस पास खड़े लोगों को ऐसे भूल जाते हैं जैसे गजिनी में आमिर खान ।और जब रिज़र्वेशन मिल जाता है तो बाकी लोगों को ऐसा महसूस करवाते हैं जैसे- "तुम लोग अभी यहीं तक पहुंचे हो? मुझे देखो मैं तो करवा भी चुका । "
पर कोई माने या ना माने रेलवे स्टेशन जाकर रिज़र्वेशन करवाना बद्रीनाथ यात्रा से ज्यादा कठिन और पुण्य देने वाला होता है ।
 
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