IT HAPPENS ONLY IN INDIA

Thursday, July 30, 2009

When somebody says, “two minutes”: it means ‘at least an hour’

When two guys (or girls) are sitting nearby and one of them cracks a joke, the other will laugh mouth wide open and thump on the inner-thigh of the joke-cracker.

If you wear jeans and shirt, then you’re a forward looking person. If you wear traditional Indian clothes, you’re 18th century person.

Every sentence ends in a ‘na’; otherwise you’re outdated.

The signal to either ‘yes’ or ‘no’ is to nod the head sideways. What determines if it’s ‘yes’ or ‘no’ depends upon the frequency in nod-cycles.

Paying to beggers is good or bad depending upon your mood. If you are in mood then it’s you duty to pay them and if not then they are a curse to the society.

जीवंत वे हैं ;

Wednesday, July 29, 2009

" जीवंत वे हैं , जिनका खून गरम, हृदय नरम और पुरुषार्थ प्रखर हो ।"
- आचार्य श्री राम शर्मा

" हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं , हम केवल वही करते हैं जो हमें करना पड़ता है "



संसार में पाप कुछ भी नही है, वह केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है। प्रत्येक व्यक्ति एक विशेष प्रकार की मनः प्रवृत्ति लेकर उत्पन्न होता है- प्रत्येक व्यक्ति इस संसार के रंगमंच पर एक अभिनय करने आया है। अपनी मनः प्रवृत्ति से प्रेरित होकर अपने पाठ को वह दुहराता है - यही मनुष्य का जीवन है । जो कुछ मनुष्य करता है, वह उसके स्वभाव के अनुकूल होता है और स्वभाव प्राकृतिक है । मनुष्य अपना स्वामी नही है , वह परिस्थितियों का दास है - विवश है । वह कर्त्ता नहीं है , वह केवल साधन है । फिर पुण्य और पाप कैसा ?

मनुष्य में ममत्व प्रधान है । प्रत्येक मनुष्य सुख चाहता है । केवल व्यक्तियों के सुख के केन्द्र भिन्न होते हैं । कुछ सुख को धन में देखते हैं , कुछ सुख को मदिरा में देखते हैं , कुछ सुख को व्यभिचार में देखते हैं , कुछ त्याग में देखते हैं - पर सुख प्रत्येक व्यक्ति चाहता है ; कोई भी व्यक्ति , संसार में अपनी इच्छानुसार वह काम न करेगा , जिसमें दुःख मिले - यही मनुष्य की मनः प्रवृत्ति है ।

संसार में इसीलिए पाप की परिभाषा नहीं हो सकी - और न हो सकती है । हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं , हम केवल वही करते हैं जो हमें करना पड़ता है । "

- भगवती चरण वर्मा , " चित्रलेखा " से

राज ठाकरे की बकैती

आज राज ठाकरे ने फिर वही काम किया जिसमे वो सर्वश्रेष्ठ है , "आग लगाने में "। इस आदमी को केवल यही काम आता है। बस मुंह खोला और भक्क से उगल दिया। न बोलने के "पहले" कभी सोचना, न कभी "बाद" में और न कभी काफ़ी बाद में। पता नही राज्य सरकार क्या कर रही है। जहाँ तक मेरी बुद्धि है, कांग्रेस इस आदमी तो फुटेज नही देना चाहती है । मुझे लगता है राज ठाकरे अगर राजनीति में सफल नही हो पाता है तो उसके लिए एक काम है मेरे दिमाग में। वो होटल्स रेस्तरां में काम कर सकता है - आग लगाने का। वैसे भी गैस के दाम बढ़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में काफ़ी फायदेमंद होगा ऐसा व्यक्ति।एक बात और है मुझे लगता है कि राज ठाकरे पुराने चीन से है। वो भी DRAGONS कि तरह आग उगलता है। हा हा हा हा

नई सड़क और नए विचार

Tuesday, July 28, 2009

आज यह नया ब्लॉग शुरू कर रहा हूँ। ईश्वर मुझे शक्ति, सामर्थ्य और सृजन-क्षमता प्रदान करे।
 
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