जब हम छोटे से थे तो स्कूल में पढाया जाता था कि भारत एक कृषि प्रधान देश है l आज ये वाक्य कहीं नहीं सुनाई देता और सुनाई देगा भी क्यों ? इस देश को अब ज़रूरत नहीं है कृषकों की l सबका काम चल रहा है l भारत में प्रतिवर्ष 17000 किसान आत्महत्या करते हैं और किसी हरामखोर नेता या 24 घंटे बकवास करने वाले चैनलों को कोई फर्क नहीं पड़ता l क्यों? क्योंकि ये खबर प्रायोजित (sponsored) नहीं है न l प्रतिदिन के हिसाब से 46 किसान अपनी जान दे रहे हैं l अगर एक कथित कृषिप्रधान देश में अन्नदाता का ये हाल है तब तो फिर हो चुका काम !
किसी को स्टीव जॉब्स के मरने का ग़म है तो किसी किसी को iPhone 4S लॉन्च होने की ख़ुशी, किसी को Ra.One फिल्म के आने का इंतज़ार तो किसी को ऐश्वर्या राय के माँ बनने की ख़ुशी l पर किसी को इस तथ्य पर न आश्चर्य होता है और न ही दुःख l इतने लोग तो कश्मीर और या अन्य किसी संवेदनशील जगह पर भी नहीं मरते साल भर में l भाड़ में जाये पाकिस्तान और चीन, मेरी नज़र में तो सबसे ज़रूरी मुद्दा यही है l पर अगर कोई इस मुद्दे पर बात करता भी है तो वो बात राजनैतिक रंग ले लेती है l मेरा सभी Socially Active लोगों से ये अनुरोध है कि इस मुद्दे को ज्यादा से ज्यादा तरजीह दें और फैलाएं l ये मुद्दा लोकपाल और भ्रष्टाचार से कम महत्त्वपूर्ण और ध्येय नहीं है l
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