मुझे नहीं लगता कि कश्मीर में कुछ भी नया हो रहा है । सब कुछ वही पुराना है । वही दंगे, वही हत्याएं, वही कर्फ्यू, वही सहमा सा बचपन, वही विद्रोही युवा, वही मायूस बुढ़ापा । लोग कह रहे हैं कि कुछ नया हो रहा है । मैं भी यही चाहता हूँ कि कुछ नया हो । पर......
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हां सच है, सब वही... नया हो, लेकिन सकारात्मक.
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