कभी कभी दिमाग ख़राब होने के लिए किसी ख़राब बात होने की ज़रूरत नहीं होती l यहाँ तक कि कभी कभी उस बात का हम से जुड़ा होना भी ज़रूरी नहीं होता l आजकल मेरे साथ ये आम बात हो गयी है l
ये आम बात....
Friday, September 23, 2011
Saturday, September 17, 2011
बहुत दिन से मन कर रहा था कि कुछ उल्टा सीधा लिखूं l पर कुछ अजीब सी व्यस्तता (आप विश्वास नहीं करेंगे मैं भी आजकल व्यस्त रहता हूँ !!) होने की वजह से ये एहसान नहीं कर पाया l दरअसल कई दिन से मैं कुलबुला रहा था लोकपाल वाले मुद्दे पर अपनी नेतागिरी छांटने को , पर ससुरा मौका नहीं लग रहा था l एक दिन बड़ी मज़ेदार बात हुयी कालोनी में झगडा हो रहा था कि ये नगर पालिका वाले कूड़ा करकट साफ़ नहीं करते हैं l पूरा मोहल्ला सड़ रहा है l किसी ने बोला अब ये सब नहीं चलेगा l हम लोगों को अनशन करना चाहिए l मेरे मन में ख्याल आया कि अब अनशन करने की क्या ज़रूरत है l अन्ना हजारे ने सबके हिस्से का अनशन कर तो लिया है और साथ में "सब" के हिस्से की टीवी फुटेज भी तो खा ली है l
अब तो उनकी बात मान भी ली गयी है l अब लोकपाल आएगा l चारों ओर खुशहाली होगी l गैय्या ज्यादा दूध देगी l अब मुर्गा भी अब जल्दी उठ के बांग लगाएगा l कोई मक्कारी नहीं चलेगी l रामराज्य स्थापित हो जायेगा l अगर आप का सफाई करने वाला सफाई नहीं करे तो तुरंत लोकपाल से कहिये l वो सफाई करने वाले को लाये न लाये, खुद सफाई ज़रूर कर देगा l भारत की तरक्की कई गुना तेज़ी से बढ़ेगी l बच्चे स्कूल जाने का बहाना नहीं कर पाएंगे l सबको अपना काम तमीज़ से करना पड़ेगा l रात में जब बच्चा नहीं सोयेगा तो मां बोलेगी- बेटा, सो जा ! वरना लोकपाल आ जायेगा l धीरे धीरे सबकुछ लोकपाल-मय हो जायेगा l लोग अपने बच्चों का नाम लोकपाल रखने लगेंगे l हर तरफ बस लोकपाल की जय जयकार होगी l
ये सब जब हो जायेगा तब क्या होगा ? तब लोकपाल पर किसका बस चलेगा ? लोकपाल की खाल के नीचे भी तो एक इसी समाज का भ्रष्ट और निकम्मा आदमी ही होगा l कुछ दिन पहले फेसबुक पर मेरे भाईसाब ने एक बड़ी अच्छी बात लिखी कि "लोकपाल हमारे अन्दर है उसे बाहर क्यूँ ढूंढ रहे हो ?" दरअसल सभ्य और सुखी समाज की कल्पना करना तब तक मुमकिन नहीं है, जब तक समाज में रहने वाले लोग सभ्य और सम्यक व्यवहार नहीं करते l ये तो नैतिक मूल्यों पर आधारित व्यवस्था है l आप किसी को लाठी मार मार के कोई काम कब तक करा सकते हो ? "जिस दिन उसका दिमाग सटक गया, वो अपने पथ से भटक गया l"
मेरा तो यही मानना है कि लोकपाल कोई समाधान नहीं है और कोई चीज़ अगर समाधान या उसका हिस्सा नहीं होती तो वो एक समस्या ही होती है l सिर्फ लोकपाल बिल आ जाने से कोई देश तरक्की नहीं करता l अभी भी कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिस पर सबका ध्यान जाना चाहिए, जैसे ग्रामीण शिक्षा, ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे मुद्दों पर कथित सिविल सोसायटी का कोई ध्यान नहीं है l
भाई यहाँ तो यही हाल है l चलिए, जो भी है यही ही है l
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