नदिया के पार - 10
Thursday, June 30, 2011
Tuesday, June 28, 2011
अभी अपने ब्लॉग के लेखों पर ध्यान दिया तो पाया कि मैंने अभी तक बाबा रामदेव पर तो कुछ लिखा ही नहीं । ऐसी महान शख्सियत के बारे में न लिखने का कारण क्या हो सकता ? विचार किया तो लगा की पूरी दुनिया तो लिख ही रही है , अगर मैंने नहीं लिखा तो कौन सा बड़ा वाला पहाड़ टूट जायेगा । पर बात तो ये है कि मुझे तो लिखना ही है चाहे कुछौ हुई जाय । तो भैया मामला ये है कि बाबा रामदेव को राजनीति का चस्का लग गवा है । और ये वो चस्का है जो प्रसिद्ध लोगों को बीच बीच में और बार बार लगता रहता है । दरअसल धन, ऐश्वर्य और संपदा होने के बावजूद भी यदि शक्ति न हो तो ये तो वही बात है चाय में पानी हो, दूध हो, चीनी हो, इलाइची और मस्त मसाले हो पर चाय की पत्ती ही न हो ।
तो हुआ ये है कि महान योगाचार्य और भ्रष्टाचार के धुर विरोधी बाबा रामदेव ने आजकल बड़ा रायता फैला रखा है और ये रायता उन्ही कि थाली से गिरा है । और तो और वो किसी को इसे साफ़ भी नहीं करने दे रहे हैं । जब बाबा अपने MOST AWAITED अनशन पर बैठे तो उनका मंतव्य जनता का समर्थन प्राप्त करना था । साथ ही उन्होंने एक बात और कही थी कि वे जल्दी ही अपनी राजनैतिक पार्टी का पूरा कार्यक्रम भी घोषित करेंगे । अब ये अनशन उन्होंने अपने राजनैतिक फायदे के लिए किया था या नहीं, इसका तो खुलासा नहीं हो पाया पर बाबा के अनुसार ये विदेश में जमा काले धन को भारत लाने के लिए किया गया था । इस उठा पटक से एक बात ये हुयी है कि बाबा रामदेव कि छवि थोड़ी प्रभावित हुयी है । लोग समझने लगे हैं कि इस सारे बवेले में बाबा का स्वार्थ भी निहित है ।
तो हुआ ये है कि महान योगाचार्य और भ्रष्टाचार के धुर विरोधी बाबा रामदेव ने आजकल बड़ा रायता फैला रखा है और ये रायता उन्ही कि थाली से गिरा है । और तो और वो किसी को इसे साफ़ भी नहीं करने दे रहे हैं । जब बाबा अपने MOST AWAITED अनशन पर बैठे तो उनका मंतव्य जनता का समर्थन प्राप्त करना था । साथ ही उन्होंने एक बात और कही थी कि वे जल्दी ही अपनी राजनैतिक पार्टी का पूरा कार्यक्रम भी घोषित करेंगे । अब ये अनशन उन्होंने अपने राजनैतिक फायदे के लिए किया था या नहीं, इसका तो खुलासा नहीं हो पाया पर बाबा के अनुसार ये विदेश में जमा काले धन को भारत लाने के लिए किया गया था । इस उठा पटक से एक बात ये हुयी है कि बाबा रामदेव कि छवि थोड़ी प्रभावित हुयी है । लोग समझने लगे हैं कि इस सारे बवेले में बाबा का स्वार्थ भी निहित है ।
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