अनुभाव
विचार एवं अभिव्यक्ति
skip to main
|
skip to sidebar
नदिया के पार-5
Thursday, May 19, 2011
No comments:
Post a Comment
Comment To Karo.....
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Popular Posts
स्वतंत्रता मुफ्त में नही मिलती........................
अभी जल्दी ही मैंने एक किताब पढ़नी शुरू की । किताब का नाम है " Freedom is not Free " इसके लेखक प्रख्यात वक्ता और शिक्षाविद '...
" न्यूज़ चैनल वालों को दीवार में चुनवा देना चाहिए "
बात अभी अभी की है । एक न्यूज़ चैनल पर अभी खबर आई की दंतेवाडा में नक्सलियों ने CRPF के 55 जवान मार दिए हैं । फिर इस खबर पर विश्लेषण शुरू हुआ ।...
"कुछ वैचारिक प्रतिरोध"
क्या लिखूं यार ? कुछ वैचारिक प्रतिरोध सा महसूस हो रहा है आजकल । लेकिन ये प्रतिरोध केवल लिखने के वक़्त ही महसूस होता है । दिनभर चाहे जितनी बक...
फोन उठाना ज़रूरी है क्या ?
एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि " घंटी बजने पर फोन उठाना ज़रूरी है क्या ? अगर नहीं उठाया तो कौन सा पहाड़ टपक जायेगा । फ़ोन ही तो है, नह...
भारतीय सेना : देश का गौरव
पिछले एक हफ्ते में कुछ ऐसी बातें हुयीं जिनके कारण मैं ये लेख लिख रहा हूँ । मैं उन बातों का उल्लेख नहीं करूँगा , पर य...
आज सुबह मुझे ये प्राप्त हुआ..........
ये काफ़ी मज़ेदार है......................... I M LOVIN IT......... फोटो का बड़ा रूप देखने के लिए उस पर क्लिक करिए......
"जीना इसी का नाम है"
कुछ दिन पहले मैंने एक मैगजीन में एक आर्टिकल देखा और उसे पढने के बाद मुझे मेरा अस्तित्व "तुच्छ" प्रतीत होने लगा । यह लेख वर्ष 2008 ...
" मैं मुसाफिर हूँ, मुझे राह नहीं मंजिल से मतलब है "
मैं जिंदगी के सूखे खडंजों पर, अकेला चला जा रहा था...आहिस्ता आहिस्ता, दूर कहीं एक पेड़ दिखा, जो मुरझाया सा लगा, मैं उस...
ट्रेन रिज़र्वेशन का झमेला
कुछ दिन पहले की बात है मुझे रिज़र्वेशन कराने का सौभाग्य (?) प्राप्त हुआ । मैं रायबरेली से दिल्ली का रिज़र्वेशन करा रहा था । ट्रेन थी पद्मावत...
" अहिंसा किसी एक व्यक्ति-मात्र को प्रभावित नहीं करती, ये वो गंगा है जो पूरे समाज को पाप-मुक्त बनाती है "
कुछ दिन पहले मेरी एक "भाई साब" से गरमा-गर्म, तड़कती- फड़कती बहस हो गयी कि क्या गाँधी आज के समय में उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वो ...
Blog Archive
►
2013
(1)
►
March
(1)
►
2012
(6)
►
June
(3)
►
May
(1)
►
January
(2)
▼
2011
(39)
►
December
(2)
►
October
(2)
►
September
(2)
►
August
(4)
►
July
(3)
►
June
(4)
▼
May
(11)
"कुछ वैचारिक प्रतिरोध"
नदिया के पार-7
नदिया के पार-6
नदिया के पार-5
नदिया के पार-4
नदिया के पार-3
नदिया के पार-2
नदिया के पार-1
"इस देश में जनता जिसे चाहती है उसे गद्दी सौंपती है"
अब क्या कहा जाये ?
" ढाक के तीन पात "
►
April
(5)
►
March
(3)
►
February
(1)
►
January
(2)
►
2010
(42)
►
November
(1)
►
October
(2)
►
September
(5)
►
August
(5)
►
July
(4)
►
June
(1)
►
May
(4)
►
April
(7)
►
March
(10)
►
January
(3)
►
2009
(17)
►
November
(2)
►
October
(2)
►
September
(2)
►
August
(6)
►
July
(5)
FREE BLOGGER TEMPLATE BY
DESIGNER BLOGS
No comments:
Post a Comment
Comment To Karo.....